न्यूज़ीलैंड उच्चायोग, एफडीसीआई और एजुकेशन न्यूज़ीलैंड ने भारत में मातारिकी उत्सव आयोजित किया

20 जून, 2025 (भारत): न्यूज़ीलैंड उच्चायोग ने फैशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (FDCI) और एजुकेशन न्यूज़ीलैंड (ENZ) के साथ मिलकर नई दिल्ली में 19 जून को मातारिकी (माओरी नववर्ष) को एक विशेष सांस्कृतिक और फैशन शोकेस के माध्यम से मनाया।

इस कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार, 19 जून को हुआ। इस शोकेस में संस्कृति, रचनात्मकता और स्थायित्व (sustainability) जैसे विषयों को केंद्र में रखा गया। इस आयोजन में सरकारी, डिज़ाइन और राजनयिक क्षेत्र के प्रमुख हस्तियों की भागीदारी रही, जो सांस्कृतिक कूटनीति (cultural diplomacy) की एक जीवंत मिसाल बनी।

भारत सरकार के विदेश राज्य मंत्री और वस्त्र राज्य मंत्री पवित्रा मार्गेरिटा इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।

अपने संबोधन में उन्होंने भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने हालिया उच्च-स्तरीय यात्राओं का उल्लेख किया, जिनमें भारतीय राष्ट्रपति की न्यूज़ीलैंड यात्रा, न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा और उनकी स्वयं की हाल की न्यूज़ीलैंड यात्रा सम्मिलित थी।

सांस्कृतिक वातावरण को और अधिक समृद्ध बनाते हुए, इस अवसर पर माओरी सांस्कृतिक समूह Ngati Koraha द्वारा पारंपरिक प्रस्तुति दी गई, साथ ही एक विशेष फैशन शो भी आयोजित हुआ। इस शोकेस में भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी और पर्ल अकादमी, तथा न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, मैसी यूनिवर्सिटी और व्हाइटक्लिफ कॉलेज के बारह युवा डिज़ाइनर्स ने मिलकर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। इन डिज़ाइनों में माओरी संस्कृति की पारंपरिक अवधारणाओं को भारतीय वस्त्रों और तकनीकों के साथ जोड़ा गया, जो मातारिकी के मूल्यों — स्मरण, नवीकरण और समुदाय — को दर्शाता है।

प्रतिभागियों के रचनात्मक प्रयासों को सम्मानित करने के लिए, एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल गठित किया गया, जिसमें फैशन डिज़ाइनर नम्रता जोशीपुरा, निकिल मेहरा (शांतनु और निकिल), तथा फैशन संपादक नंदिनी भल्ला (The Word) और वीरेन्द्र भारद्वाज (Esquire) शामिल थे। एला रोड्स (ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी) और स्तुति गुप्ता (पर्ल अकादमी) विजेता टीम घोषित की गई। उपविजेता बने संसारा जैस्पर (व्हाइटक्लिफ कॉलेज) और वन्या अग्रवाल (निफ्ट)।
इस आयोजन के महत्व पर टिप्पणी करते हुए न्यूज़ीलैंड के उच्चायुक्त पैट्रिक राटा ने कहा, “यह हमारे लिए एक विशेष अवसर है कि हम भारत में मातारिकी, यानी माओरी नववर्ष, का उत्सव मना रहे हैं। मातारिकी के मूल्य — संबंध, आत्मचिंतन और नवीकरण — विश्व की विभिन्न संस्कृतियों में गूंजते हैं। यह शाम हमारी रचनात्मक साझेदारी और सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव है। भारत में न्यूज़ीलैंड की माओरी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करना हमारे लिए गौरव की बात है।” FDCI अध्यक्ष सुनील सेठी ने भी इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा, “इस सहयोग का हिस्सा बनकर हमें अत्यंत प्रसन्नता है। यह फैशन की सार्वभौमिक भाषा के माध्यम से भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करता है। हम ऐसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान का समर्थन करते हैं जो नई सोच को प्रेरित करते हैं, स्थायी डिज़ाइन को प्रोत्साहित करते हैं और युवा प्रतिभाओं को अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।”
 
मातारिकी, दक्षिणी गोलार्द्ध में मध्य सर्दियों में प्लीयाडीज़ तारा समूह के उदय का प्रतीक होता है, और माओरी पंचांग वर्ष की शुरुआत दर्शाता है। माओरी संस्कृति में यह समय अतीत को याद करने, वर्तमान का उत्सव मनाने और भविष्य की योजना बनाने का होता है — ये मूल्य भारतीय ऋतु उत्सवों से भी मेल खाते हैं।
 
यह कार्यक्रम न्यूजीलैंड के सांस्कृतिक कूटनीति अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम (New Zealand's Cultural Diplomacy International Programme) का एक हिस्सा था और यह भारत-न्यूजीलैंड के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है. साथ ही, यह रचनात्मक उद्योगों की वैश्विक सहयोग में भूमिका को भी रेखांकित करता है।
 
[भारत-दर्शन समाचार]