हम में से लगभग हर कोई कभी न कभी 'अप्रैल फूल्स डे' के मज़ाक का शिकार हुआ होगा लेकिन यह  हर वर्ष 1 अप्रैल को क्यों होता है?

मूर्ख दिवस यानी 'अप्रैल फूल्स डे' कैसे आरंभ हुआ?  इस विषय पर कोई एक मान्य  राय नहीं है। इस बारे में अनेक मान्यताएं हैं।  सर्वाधिक प्रचलित मान्यता ब्रिटेन के लेखक जेफ्री चॉसर की पुस्तक 'द कैंटरबरी टेल्स' (1392) की एक कहानी पर आधारित है। चॉसर ने अपनी इस पुस्तक में 32 मार्च का उल्लेख किया है।  कहानी “32 मार्च” पर आधारित है, जो 1 अप्रैल को संदर्भित करने का एक मज़ेदार तरीका हो सकता है। इस प्रकार किसी को मूर्ख की तरह महसूस कराने के लिए एक दिन को चिह्नित किया गया।  कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि '32 मार्च'  शायद ग़लत छपाई का परिणाम था, और जेफ्री चॉसर का मतलब केवल मार्च के अंत से रहा होगा।

अन्य प्रसंग 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की घोषणा है। सगाई  32 मार्च 1381 को आयोजित किए जाने की घोषणा की गई थी। कैंटरबरी के जन-साधारण इसे सही मान लेते हैं यद्यपि 32 मार्च तो होता ही नहीं। इसप्रकार इस तिथि को सही मानकर वहां के लोग मूर्ख बन जाते हैं, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात 'अप्रैल फूल्स डे' मनाया जाने लगा।

वैसे तो अप्रैल फूल्स डे पश्चिमी सभ्यता की देन है लेकिन यह विश्व के अधिकांश देशों सहित भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

कुछ इतिहासकारों का मानना ​​है कि यह 1500 के दशक के उत्तरार्ध से शुरू होता है जब फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर की जगह नया कैलेंडर अपनाया  था। जूलियन कैलेंडर दुनिया के अधिकांश देशों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला प्रमुख कैलेंडर था। 1564  से पहले यूरोप के अधिकांश देशों में जूलियन कैलेंडर प्रचलित था और इस  कैलेंडर में नया वर्ष पहली अप्रैल से आरंभ होता था। उन दिनों पहली अप्रैल के दिन को नववर्ष के रूप में मान्यता प्राप्त थी। इस दिन लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाओं के अतिरिक्त उपहार भी देते थे। 

1564 में फ्रांस के राजा चार्ल्स नवम् (CHARLES IX) ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया।  इस नए कैलेंडर में पहली जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। लोगों ने राजाज्ञा से इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपनाने से इनकार कर दिया। वे पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। इन लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालो ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के उपहास करने आरंभ कर दिए। तभी से पहली अप्रैल को 'फूल्स डे' के रूप मे मनाने का प्रचलन हो गया। 

'अप्रैल फूल्स डे'  को पहले 'ऑल फूल्स डे'  कहा जाता था और यह कथित तौर पर उन लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिए था जो कैलेंडर परिवर्तन को  अपनाने में हिचकिचा रहे थे।

अन्य मान्यताएं:

1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर (जिसमें पहली जनवरी को नया वर्ष आरंभ होता है) अपनाने को कहा और अधिकांश ने उनकी आज्ञा का पालन किया। इस कैलेंडर की अवज्ञा करने वाले लोगों को 'अप्रैल फूल्स' की संज्ञा दी गई। इस प्रकार 1 अप्रैल नया वर्ष होेने की जगह 'मूर्ख दिवस'  के रूप में प्रचलित हुआ।

भारतीय कलैंडर

यह भी कहा जाता है कि पहले विश्वभर में निर्विवाद रूप से सनातन कैलेंडर को मान्यता थी जिसमें नया वर्ष अप्रैल से आरंभ होता था। धीरे-धीरे भारतीय सनातन कैलंडर के स्थान पर भारत में भी पाश्चात्य कैलेंडर को मान्यता मिल गई परंतु भारत सहित विश्वभर में वित्तीय वर्ष अब भी अप्रैल से ही माना जाता है।

[भारत-दर्शन]