लाल बहादुर शास्त्री जयंती | 2 अक्तूबर

2 अक्टूबर को याद करेगा देश अपने लाल बहादुर शास्त्री को

लाल बहादुर शास्त्री गांधीवादी थे। आपने अपना संपूर्ण जीवन सादगी और मानव सेवा को अर्पित कर दिया। आपके, 'सादा जीवन उच्च विचार' वाले सैद्धांतिक जीवन के आज भी उदाहरण दिए जाते हैं।

आपकी ईमानदार छवि आज भी भारतीयों के लिए प्रेरणास्रोत है। शास्त्रीजी राजनीति और धर्म को एक-दूसरे से अलग रखने में ही भलाई समझते थे।

जहाँ आज के नेता और मंत्री बेईमानी का पर्यायवाची बन गए है उसी देश में कभी 'लाल बहादुर शास्त्री' जैसे नेता भी हुए थे।

शास्त्रीजी लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री भी रहे लेकिन वे अपने जीवन के अंतिम दिनों तक सामान्य जीवन जीए। उन्होंने देश के मील का पत्थर बन कर यह प्रमाणित कर दिया कि जीवन धन-समृद्धि के लिए नहीं बल्कि अपने आदर्शों और सिद्धांतों के लिए होता है।

लाल बहादुर शास्त्री से संबंधित कुछ पठनीय सामग्री यहाँ दी जा रही है:

- लाल बहादुर शास्त्री का जीवन-परिचय
- लाल बहादुर शास्त्री के संस्मरण व प्रेरक-प्रसंग

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शास्त्री जी पर कुछ कविताएँ

लाल बहादुर शास्त्री

लालों में वह लाल बहादुर,
भारत माता का वह प्यारा।
कष्ट अनेकों सहकर जिसने,
निज जीवन का रूप संवारा।

तपा तपा श्रम की ज्वाला में,
उस साधक ने अपना जीवन।
बना लिया सच्चे अर्थों में,
निर्मल तथा कांतिमय कुंदन।

सच्चरित्र औ' त्याग-मूर्ति था,
नहीं चाहता था आडम्बर।
निर्धनता उसने देखी थी,
दया दिखाता था निर्धन पर।

नहीं युद्ध से घबराता था,
विश्व-शांति का वह दीवाना।
इसी शांति की बलवेदी पर,
उसे ज्ञात था मर-मिट जाना।

-डा राणा प्रताप सिंह गन्नौरी
[ साभार - मीठे बोल ]

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शास्त्रीजी

पैदा हुआ उसी दिन,
जिस दिन बापू ने था जन्म लिया
भारत-पाक युद्ध में जिसने
तोड़ दिया दुनिया का भ्रम।

एक रहा है भारत सब दिन,
सदा रहेगा एक।
युगों-युगों से रहे हैं इसमें
भाषा-भाव अनेक।

आस्था और विश्वास अनेकों
होते हैं मानव के।
लेकिन मानवता मानव की
रही सदा ही नेक।
कद से छोटा था लेकिन था
कर्म से बड़ा महान।
हो सकता है कौन, गुनो वह
संस्कृति की संतान।

-कमला प्रसाद चौरसिया

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