छायावादियों कवियों में महादेवी वर्मा विशिष्ट स्थान रखती हैं। महादेवी का जन्म 26 मार्च 1907 (होली के दिन) उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद ज़िले में हुआ। आपकी आरम्भिक शिक्षा इंदौर में हुई व घर पर उन्हें चित्रकला और संगीत कला की शिक्षा मिली। काव्य के अतिरिक्त हिंदी गद्य में महादेवी वर्मा की कहानियां भी अत्यंत लोकप्रिय हुई हैं।
1932 में आपने ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम.ए. की।
महात्मा बुद्ध के जीवन-दर्शन से महादेवी अत्यधिक प्रभावित रहीं।
इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महादेवी का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य के पद पर काम करने के अतिरिक्त आपने ‘चाँद' पत्रिका का संपादन भी किया।
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मैं नीर भरी दुःख की बदली,
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रंदन में आहत विश्व हँसा,
नयनो में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झनी मचली !
मैं नीर भरी दुःख की बदली !
मेरा पग पग संगीत भरा,
श्वांसों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली !
मैं नीर भरी दुःख की बदली !
मैं क्षितिज भृकुटी पर घिर धूमिल,
चिंता का भर बनी अविरल,
रज कण पर जल कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली !
मैं नीर भरी दुःख की बदली !
पथ न मलिन करते आना
पद चिन्ह न दे जाते आना
सुधि मेरे आगम की जग में
सुख की सिहरन हो अंत खिली !
मैं नीर भरी दुःख की बदली !
विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
परिचय इतना इतिहास यही
उमटी कल थी मिट आज चली !
मैं नीर भरी दुःख की बदली !