फांसी वाले दिन भी व्यायाम करने वाला क्रांतिकारी
फांसी वाले दिन भी सुबह राजेंद्र लाहिड़ी ( 23 जून, 1901 - 17 दिसंबर, 1927) व्यायाम कर रहे थे। जेलर ने पूछा, 'मरने से पहले व्यायाम का क्या प्रयोजन है?' लाहिड़ी ने जो उत्तर दिया, उसे सुन जेलर भी निरुत्तर हो गये थे।
“जेलर साब! चूंकि मैं हिन्दू हूँ और पुनर्जन्म में मेरी अटूट आस्था है। अत: अगले जन्म में मैं स्वस्थ शरीर के साथ पैदा होना चाहता हूँ ताकि अधूरे कार्य को पूरा कर देश को स्वतंत्र करा सकूं।
[ काकोरी कांड के इस युवा क्रातिकारी ‘राजेंद्र नाथ लाहिड़ी’ को 17 दिसंबर 1927 फांसी हुई थी]