देश के महान क्रांतिकारी राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे ज़िले के खेड़ गाँव में हुआ था, जिसका नाम अब 'राजगुरु नगर' हो गया है। आपका पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था। आपकी माता का नाम पार्वती बाई और पिता का नाम हरि नारायण था। आपने गांव के ही एक मराठी स्कूल से आरम्भिक शिक्षा ली और कुछ वर्षों पश्चात् वाराणसी चले गए। वाराणसी में आपने संस्कृत और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। सिर्फ 15 वर्ष की आयु में आपने धार्मिक ग्रंथों का काफी ज्ञान पा लिया था।
वाराणसी में शिक्षा के दौरान आप देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे कुछ क्रांतिकारियों से मिले। बाद में आप भी स्वतंत्रता के संघर्ष में सम्मिलित हो गए।
1924 में वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) नामक क्रांतिकारी संगठन में सम्मिलिति हो गए। इस संगठन की स्थापना चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और सुखदेव ने की थी।
साइमन कमीशन में किसी भारतीय नेता को शामिल नहीं करने पर राष्ट्रवादी नेताओं ने आयोग का बहिष्कार किया था। इसी बहिष्कार के दौरान हुए लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय का निधन हो गया था। राजगुरु, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने का निर्णय लिया था।
राजगुरु को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे लाहौर के केंद्रीय कारागार में भगत सिंह और सुखदेव के साथ फ़ाँसी पर लटका दिया गया था।
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हँसते-हँसते फाँसी पर झूल गई यह देशभक्त तिकड़ी