गिरिराज किशोर (Giriraj Kishore) का जन्म 8 जुलाई, 1937 को मुजफ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश मे हुआ। आप हिन्दी के उपन्यासकार होने के अतिरिक्त एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक भी हैं।
1991 में प्रकाशित आपके उपन्यास 'ढाई घर' को 1992 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। गिरिराज किशोर का उपन्यास 'पहला गिरमिटिया' महात्मा गाँधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित था, जिससे आपको विशेष पहचान मिली।
23 मार्च 2007 को राष्ट्रपति द्वारा साहित्य और शिक्षा के लिए 'पद्मश्री' से विभूषित किए गए।
प्रकाशित कृतियां :
कहानी संग्रह - नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता और अन्य कहानियां, शहर -दर -शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां, वल्द रोजी, यह देह किसकी है?,कहानियां पांच खण्डों में 'मेरी राजनीतिक कहानियां' व हमारे 'मालिक सबके मालिक'
उपन्यास- लोग, चिडियाघर, दो, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंर्तध्वंस, ढाई घर, यातनाघर, आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में । पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास नाटक - नरमेध, प्रजा ही रहने दो, चेहरे - चेहरे किसके चेहरे, केवल मेरा नाम लो, जुर्म आयद, काठ की तोप।
बाल-साहित्य - बच्चों के लिए एक लघुनाटक 'मोहन का दु:ख'
लेख/निबंध - संवादसेतु, लिखने का तर्क, सरोकार, कथ-अकथ, समपर्णी, एक जनभाषा की त्रासदी, जन-जन सनसत्ता।