संत एकनाथ (महाराष्ट्र के संत) एक बार नदी-स्नान करके अपने निवास-स्थान पर जा रहे थे, जब वह बड़े पेड़ के नीचे से गुज़रे, तो वहाँ खड़े व्यक्ति ने उन पर कुल्ला कर दिया।
संत एकनाथ बिना कुछ बोले स्नान करने चले गए। स्नान करके जब वह फिर उस पेड़ के नीचे से निकले तो उस व्यक्ति ने उन पर फिर कुल्ला कर दिया। ऐसा लगभग 108 बार हुआ। संत एकनाथ जी ने बिना कुछ किए 108 बार लगातार स्नान किया।
अंत में, उस दुष्ट को पश्चाताप हुआ और वह एकनाथ के चरणों में झुककर बोला, "महाराज, मेरी दुष्टता को माफ कर दो। मेरे जैसे पापी के लिए नरक में भी स्थान नहीं है। मैंने आपको परेशान करने के लिए खूब तंग किया, लेकिन आपका धीरज नहीं डिगा। मुझे माफ कर दो।"
महात्मा ने कहा, "कोई चिंता की बात नहीं, तुमने मुझ पर उपकार किया है। आज मुझे 108 बार स्नान करने का सौभाग्य तो मिला। कितना उपकार है तुम्हारा मेरे ऊपर!"
...और वह दुःख-शर्म से पानी-पानी हो गया।
[भारत-दर्शन संकलन]