प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।

मालती जोशी

मालती जोशी

वर्तमान की सर्वाधिक लोकप्रिय लेखिका मालती जोशी का जन्म 4 जून 1934 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुआ था। मालती जोशी के पिताजी कृष्णराव दिघे पुराने ग्वालियर राज्य में मॉजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत थे। इनकी माता सरलादेवी कृष्णराव दिघे एक गृहिणी थी। 1959 में आपका विवाह सोमनाथ जोशी से हुआ। सोमनाथ जोशी भोपाल में इंजीनियर रहे हैं। आपके दो बेटे हैं।

एक साक्षात्कार में मालती जोशी अपने बारे में बताती हैं--"पिता पुरानी ग्वालियर रियासत में मजिस्ट्रेट थे। छोटे-छोटे कस्बों में स्थानांतरित होते रहते थे, इसलिए पढ़ाई में एकरूपता नहीं रह पाई। चौथी कक्षा तक घर में पढ़ाई की। पांचवीं में लड़कों के स्कूल में दाखिला लिया क्योंकि कन्याशाला केवल चौथी तक थी। आठवीं में थी तब पिताजी का स्थानांतरण हुआ। फिर आठवीं प्राइवेट करनी पड़ी। उन दिनों राज्य ग्वालियर की मिडिल परीक्षा की बहुत मान्यता थी। नौवीं, दसवीं मलाव कन्या विद्यालय इंदौर से पास की। उन दिनों दसवीं (मैट्रिक) स्कूल की अंतिम कक्षा हुआ करती थी। उसके बाद इंटर प्राइवेट किय। बी.ए और एम.ए होलकर कॉलेज इंदौर से किया।"

अपने विद्यार्थी जीवन में ही मालती जोशी साहित्य के क्षेत्र में काफी सक्रिय हो गईं थीं। वे बताती हैं--"छात्र जीवन में ही गीतकार के रूप में काफी लोकप्रियता अर्जित की थी। लोग 'मालवा की मीरा' कहने लगे थे। कवि सम्मेलनों में बहुत प्रशंसा मिलती थी। कालांतर में गीतों का यह स्रोत सूख गया। मैंने तब कई विधाओं में हाथ आजमाया। रेडियो के लिए झलकियाँ, व्यंग्य वार्तायें लिखीं। बच्चों के लिये कहानियां लिखीं। एक प्रयोग गीत रामायण का भी किया पर वह बहुत दूर तक नहीं गया।"

अपने लेखन के बारे में वे स्वयं बताती हैं कि लिख तो वे काफी समय से रही थीं परंतु सत्तर के दशक में धर्मयुग साप्ताहिक में प्रकाशित उनकी एक कहानी ने उन्हें स्थापित कर दिया, वे कहती हैं--"छुटपुट कहानियां भी लिखीं जो सरिता, निहारिका, लहर, कादम्बिनी आदि में छपीं। दैनिक अखबारों के रविवासरीय अंकों में भी कहानियां छपती थीं। नवम्बर 1979 में धर्मयुग में एक कहानी छपी, जिसने मुझे अखिल भारतीय मंच पर स्थापित कर दिया, उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।"

साहित्यिक कृतियाँ

कहानी संग्रह

पाषाण युग (1976), मध्यांतर (1977), पराजय (1979) मन ना भये दस बीस (1981), मालती जोशी की कहानियां (1983), एक घर सपनों का (1985), विश्वास गाथा (1985), बोल री कठपुतली (1985), आखरी शर्त (1991), मोरी रंग दी चुनरियां (1992), अंतिम संक्षेप (1994), एक सार्थक दिन (1995), महकते रिश्ते (1995), शापित शैशव (1996), पिया पीर न जानी (1999), बाबूल का घर (1999), औरत एक रात है (2001), अपने अपने आंगन की छांव (2003)

उपन्यास साहित्य

पटाक्षेप (1977), समर्पण का सुख (1978), सहचारिणी (1979), राग-विराग (1985), शोभायात्रा (1985)

मालती जोशी जी के प्रसिद्ध उपन्यास शोभायात्रा पर टीवी नाटक भी बन चुका है।

गुलजार ने मालती जोशी की कहानियों पर 'किरदार' तथा जया बच्चन ने 'सात फेरे' धारावाहिक बनाए हैं। उन्होंने अपनी कहानियाँ आकाशवाणी से भी प्रसारित की हैं।

बाल-साहित्य

दादी की घड़ी (1977), जीने की राह (1978), परिक्षा और पुरस्कार (1994), स्नेह के स्वर (1994), सच्चा सिंगार (1994)

अन्य साहित्य

हार्ले स्ट्रीट (व्यंग्य, 1995) मेरा छोटा सा अपनापन (गीत संग्रह, 1999), पाषाण (मराठी कथा संग्रह, 1980) परिपूर्ति (मराठी कथा संग्रह, 1989)

निधन

15 मई 2024 को मालती जोशी का निधन हो गया।

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