परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।

भारत-दर्शन | Profile & Collections

न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित, भारत-दर्शन है वेब हिंदी पत्रकारिता का जनक

भारत-दर्शन हिंदी वेब पत्रकारिता (न्यू मीडिया) में नेतृत्व करता है। 'भारत-दर्शन' 1996-97 में इंटरनेट पर विश्व का पहला हिंदी प्रकाशन था। आपको शायद जानकार आश्चर्य होगा कि हिंदी वेब-पत्रकारिता का आरंभ भारत से न होकर, न्यूज़ीलैंड से हुआ है।

क्या आप जानते हैं?

- इंटरनेट की पहली हिंदी पत्रिका न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित 'भारत-दर्शन' (दिसंबर-जनवरी, 1996-97) थी।
- इसके बाद दूसरी 'बोलोजी' जिसमें कुछ पृष्ठ हिंदी के होते थे, 1999 में अमरीका से प्रकाशित हुई। राजेन्द्र कृष्ण इसका प्रकाशन करते थे।
- पूर्णिमा जी ने अभिव्यक्ति 2000 (शारजहा) का प्रकाशन आरम्भ किया।

दिलचस्प बात यह है कि उपरोक्त तीनों प्रकाशन भारत से प्रकाशित न होकर न्यूजीलैंड, शारजहा व अमरीका से प्रकाशित हो रहे थे। इंटरनेट का पहला प्रकाशन भारत-दर्शन था व इसके बाद ही भारत से ‘दैनिक जागरण' (1997) व भारत का पहला हिंदी पोर्टल ‘वेब दुनिया' (1999) प्रकाशित हुआ।

न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित, इंटरनेट पर विश्व की पहली हिंदी पत्रिका, 'भारत-दर्शन' का संपादन व प्रकाशन रोहित कुमार हैप्पी करते हैं। यह पत्रिका 1996-97 से इंटरनेट पर प्रकाशित हो रही है।

 

भारत-दर्शन 's Collection

Total Records: 3

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विक्रमादित्य का न्याय

विक्रमादित्य का राज था। उनके एक नगर में जुआ खेलना वर्जित था। एक बार तीन व्यक्तियों ने यह अपराध किया तो राजा विक्रमादित्य ने तीनों को अलग-अलग सज़ा दी। एक को केवल उलाहना देते हुए, इतना ही कहा कि तुम जैसे भले आदमी को ऐसी हरकत शोभा नहीं देती। दूसरे को कुछ भला-बुरा कहा, और थोड़ा झिड़का। तीसरे का मुँह काला करवाकर गधे पर सवार करवा, नगर भर में फिराया।

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ईश्वरचंद्र विद्यासागर

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