जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

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छोटी हिन्दी कहानियां

दस शिक्षाप्रद व प्रेरणादायक कहानियाँ

मेज़बान - ख़लील जिब्रान की कहानी 

"कभी हमारे घर को भी पवित्र करो ।" करूणा से भीगे स्वर में भेड़िये ने भोली-भाली भेड़ से कहा ।

मैं जरूर आती बशर्ते तुम्हारे घर का मतलब तुम्हारा पेट न होता ।" भेड़ ने नम्रतापूर्वक जवाब दिया ।

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विक्रमादित्य का न्याय

विक्रमादित्य का राज था। उनके एक नगर में जुआ खेलना वर्जित था। एक बार तीन व्यक्तियों ने यह अपराध किया तो राजा विक्रमादित्य ने तीनों को अलग-अलग सज़ा दी। एक को केवल उलाहना देते हुए, इतना ही कहा कि तुम जैसे भले आदमी को ऐसी हरकत शोभा नहीं देती। दूसरे को कुछ भला-बुरा कहा, और थोड़ा झिड़का। तीसरे का मुँह काला करवाकर गधे पर सवार करवा, नगर भर में फिराया।

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ईश्वरचंद्र विद्यासागर

Ishwar Chandra Vidyasagar

ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आपके पिता का नाम ठाकुरदास बन्धोपाध्याय और माता का नाम भगवती देवी था। आपका वास्तविक नाम ईश्वरचंद बंदोपाध्याय था।

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