सुभद्रा कुमारी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 16

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जलियाँवाला बाग में बसंत

यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।
परिमल-हीन पराग दाग़ सा बना पड़ा है,हा! यह प्यारा बाग़ खून से सना पड़ा है।
ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना,यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचान...

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खिलौनेवाला

वह देखो माँ आजखिलौनेवाला फिर से आया है।कई तरह के सुंदर-सुंदरनए खिलौने लाया है।हरा-हरा तोता पिंजड़े मेंगेंद एक पैसे वालीछोटी सी मोटर गाड़ी हैसर-सर-सर चलने वाली।सीटी भी है कई तरह कीकई तरह के सुंदर खेलचाभी भर देने से भक-भककरती चलने वाली रेल।गुड़िया भी है बहुत भली-सीपहने कानों में बालीछोटा-सा \\\'टी ...

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सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियाँ

'खूब लड़ी मरदानी वह तो झांसी वाली रानी थी' जैसी अमर कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान जितनी बड़ी कवयित्री थीं, उतनी ही बड़ी कथाकार भी थीं।
कविताओं की भांति उनकी कहानियाँ भी हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं और पाठकों की संवेदना पर नावक के तीर का-सा असर छोड़ती हैं। सुभद्रा जी की कहानियाँ एक ओर ...

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राखी | कविता

भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैंराखी अपनी, यह लो आज ।कई बार जिसको भेजा हैसजा-सजाकर नूतन साज ।।
लो आओ, भुजदण्ड उठाओइस राखी में बँध जाओ ।भरत - भूमि की रजभूमि कोएक बार फिर दिखलाओ ।।
वीर चरित्र राजपूतों कापढ़ती हूँ मैं राजस्थान ।पढ़ते - पढ़ते आँखों मेंछा जाता राखी का आख्यान । ।
मैंने पढ़ा, शत्रुओं को भी...

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राखी की चुनौती | सुभद्रा कुमारी चौहान

बहिन आज फूली समाती न मन में ।तड़ित आज फूली समाती न घन में ।।घटा है न झूली समाती गगन में ।लता आज फूली समाती न बन में ।।
कही राखियाँ है, चमक है कहीं पर,कही बूँद है, पुष्प प्यारे खिले हैं ।ये आयी है राखी, सुहाई है पूनो,बधाई उन्हें जिनको भाई मिले हैं ।।
मैं हूँ बहिन किन्तु भाई नहीं है ।है राखी सजी ...

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हींगवाला

लगभग 35 साल का एक खान आंगन में आकर रुक गया । हमेशा की तरह उसकी आवाज सुनाई दी - ''अम्मा... हींग लोगी?''
पीठ पर बँधे हुए पीपे को खोलकर उसने, नीचे रख दिया और मौलसिरी के नीचे बने हुए चबूतरे पर बैठ गया । भीतर बरामदे से नौ - दस वर्ष के एक बालक ने बाहर निकलकर उत्तर दिया - ''अभी कुछ नहीं लेना है, जा...

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मातृ-मन्दिर में

वीणा बज-सी उठी, खुल गये नेत्रऔर कुछ आया ध्यान।मुड़ने की थी देर, दिख पड़ाउत्सव का प्यारा सामान॥
जिनको तुतला-तुतला करकेशुरू किया था पहली बार।जिस प्यारी भाषा में हमकोप्राप्त हुआ है माँ का प्यार॥
उस हिन्दू जन की गरीबिनीहिन्दी प्यारी हिन्दी का।प्यारे भारतवर्ष -कृष्ण कीउस प्यारी कालिन्दी का॥
है उसका...

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होली | कहानी

"कल होली है।""होगी।""क्या तुम न मनाओगी?""नहीं।"''नहीं?''''न ।'''''क्यों? ''''क्या बताऊं क्यों?''''आखिर कुछ सुनूं भी तो ।''''सुनकर क्या करोगे? ''''जो करते बनेगा ।''''तुमसे कुछ भी न बनेगा ।''''तो भी ।''''तो भी क्या कहूँ?"क्या तुम नहीं जानते होली या कोई भी त्योहार वही मनाता है जो सुखी है । जिसके जीव...

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झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन सत्तावन मेंवह तलवार पुरानी थी।बुंदेले हरबोलों के मुँहहमने सुनी कहानी थी।खूब लड़ी मर्दानी वह तोझांसी वाली रानी थी॥
कान...

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मुरझाया फूल | कविता

यह मुरझाया हुआ फूल है,इसका हृदय दुखाना मत ।स्वयं बिखरने वाली इसकी,पंखुड़ियाँ बिखराना मत ॥जीवन की अन्तिम घड़ियों में,देखो, इसे रुलाना मत ॥
अगर हो सके तो ठण्डी -बूँदें टपका देना, प्यारे ।जल न जाए संतप्त हृदय,शीतलता ला देना प्यारे ॥
- सुभद्रा कुमारी चौहान

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राही | कहानी

- तेरा नाम क्या है?
- राही।
- तुझे किस अपराध में सज़ा हुई?
- चोरी की थी, सरकार।
- चोरी? क्या चुराया था
- नाज की गठरी।
- कितना अनाज था?
- होगा पाँच-छः सेर।
- और सज़ा कितने दिन की है?
- साल भर की।
- तो तूने चोरी क्यों की? मजदूरी करती तब भी तो दिन भर में तीन-चार आने पैसे मिल जाते!
- ...

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ठुकरा दो या प्यार करो | सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता

देव! तुम्हारे कई उपासककई ढंग से आते हैं ।सेवा में बहुमूल्य भेंट वेकई रंग की लाते हैं ॥
धूमधाम से साजबाज सेमंदिर में वे आते हैं ।मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएँलाकर तुम्हें चढ़ाते हैं ॥
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसीजो कुछ साथ नहीं लायी ।फिर भी साहस कर मंदिर मेंपूजा करने चली आयी ॥
धूप दीप नैवेद्य नहीं हैझां...

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कोयल

देखो कोयल काली है, पर मीठी है इसकी बोली!इसने ही तो कूक-कूक कर आमों में मिसरी घोली॥यही आम जो अभी लगे थे, खट्टे-खट्टे, हरे-हरे।कोयल कूकेगी तब होंगे, पीले और रस भरे-भरे॥हमें देखकर टपक पड़ेंगे, हम खुश होकर खाएंगे।ऊपर कोयल गायेगी, हम नीचे उसे बुलाएंगे॥
कोयल! कोयल! सच बतलाओ, क्‍या संदेशा लाई हो?बह...

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मेरा नया बचपन

बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया, ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।।
चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद। कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?
ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी? बनी हुई थी, आहा! झोंपड़ी-- और चीथड़ों में रानी।।
किये दूध के कुल्ले मैंनेच...

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विजयादशमी

विजये ! तूने तो देखा है,वह विजयी श्री राम सखी !धर्म-भीरु सात्विक निश्छ्ल मनवह करुणा का धाम सखी !!
बनवासी असहाय और फिरहुआ विधाता वाम सखी !हरी गई सहचरी जानकीवह व्याकुल घनश्याम सखी !।
कैसे जीत सका रावण कोरावण था सम्राट सखी !रक्षक राक्षस सैन्य सबल थाप्रहरी सिंधु विराट सखी !!
राम-समान हमारा भी तोरह...

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पानी और धूप

अभी अभी थी धूप, बरसनेलगा कहाँ से यह पानीकिसने फोड़ घड़े बादल केकी है इतनी शैतानी।
सूरज ने क्‍यों बंद कर लियाअपने घर का दरवाजा़उसकी माँ ने भी क्‍या उसकोबुला लिया कहकर आजा।
ज़ोर-ज़ोर से गरज रहे हैंबादल हैं किसके काकाकिसको डाँट रहे हैं, किसनेकहना नहीं सुना माँ का।
बिजली के आँगन में अम्&zw...

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सुभद्रा कुमारी का जीवन परिचय