सुभद्रा कुमारी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 16

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सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियाँ

'खूब लड़ी मरदानी वह तो झांसी वाली रानी थी' जैसी अमर कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान जितनी बड़ी कवयित्री थीं, उतनी ही बड़ी कथाकार भी थीं।
कविताओं की भ?...

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राखी | कविता

भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैं
राखी अपनी, यह लो आज ।
कई बार जिसको भेजा है

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राखी की चुनौती | सुभद्रा कुमारी चौहान

बहिन आज फूली समाती न मन में ।
तड़ित आज फूली समाती न घन में ।।
घटा है न झूली समाती गगन में ।

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जलियाँवाला बाग में बसंत

यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,
काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से,

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खिलौनेवाला

वह देखो माँ आज
खिलौनेवाला फिर से आया है।
कई तरह के सुंदर-सुंदर

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हींगवाला

लगभग 35 साल का एक खान आंगन में आकर रुक गया । हमेशा की तरह उसकी आवाज सुनाई दी - ''अम्मा... हींग लोगी?''
पीठ पर बँधे हुए पीपे को खोलकर उसने, नीचे रख दिया और मौलसिरी क?...

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मातृ-मन्दिर में

वीणा बज-सी उठी, खुल गये नेत्र
और कुछ आया ध्यान।
मुड़ने की थी देर, दिख पड़ा

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होली | कहानी

"कल होली है।"
"होगी।"
"क्या तुम न मनाओगी?"

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झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

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मुरझाया फूल | कविता

यह मुरझाया हुआ फूल है,
इसका हृदय दुखाना मत ।
स्वयं बिखरने वाली इसकी,

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राही | कहानी

- तेरा नाम क्या है?
- राही।
- तुझे किस अपराध में सज़ा हुई?

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ठुकरा दो या प्यार करो | सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता

देव! तुम्हारे कई उपासक
कई ढंग से आते हैं ।
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे

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कोयल

देखो कोयल काली है, पर मीठी है इसकी बोली!
इसने ही तो कूक-कूक कर आमों में मिसरी घोली॥
यही आम जो अभी लगे थे, खट्टे-खट्टे, हरे-हरे।

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मेरा नया बचपन

बार-बार आती है मुझको
मधुर याद बचपन तेरी।
गया, ले गया तू जीवन की

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विजयादशमी

विजये ! तूने तो देखा है,
वह विजयी श्री राम सखी !
धर्म-भीरु सात्विक निश्छ्ल मन

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पानी और धूप

अभी अभी थी धूप, बरसने
लगा कहाँ से यह पानी
किसने फोड़ घड़े बादल के

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सुभद्रा कुमारी का जीवन परिचय