एक दिन आप
 घर से बाहर निकलेंगे
 और सड़क किनारे
 फ़ुटपाथ पर
 चिथड़ों में लिपटा
 बैठा होगा कबीर
 
 'भाईजान ,
 आप इस युग में
 कैसे ' ---
 यदि आप उसे
 पहचान कर
 पूछेंगे उससे
 तो वह शायद
 मध्य-काल में
 पाई जाने वाली
 आज-कल खो गई
 उजली हँसी हँसेगा
 
 उसके हाथों में
 पड़ा होगा
 किसी फटे हुए
 अख़बार का टुकड़ा
 जिस में बची हुई होगी
 एक बासी रोटी
 जिसे निगलने के बाद
 वह अख़बार के
 उसी टुकड़े पर छपी
 दंगे-फ़सादों की
 दर्दनाक ख़बरें पढ़ेगा
 और बिलख-बिलख कर
 रो देगा
- सुशांत सुप्रिय
 मार्फ़त श्री एच.बी. सिन्हा
 5174 , श्यामलाल बिल्डिंग ,
 बसंत रोड,( निकट पहाड़गंज ) ,
 नई दिल्ली - 110055
 मो: 9868511282 / 8512070086
 ई-मेल : sushant1968@gmail.com