बाल-दिवस | कविता

रचनाकार: भारत-दर्शन संकलन | Collections

भोले भाले बालक सारे। हैं चाचा नेहरू के प्यारे ।।
सूरज चन्दा बन कर चमकें-
दूर करें हम अंधियारो को।
नील गगन के आँचल से हम-
लाएँ चाँद सितारों को ।।
देश की नैया के बनें खिवैया-
हम भारत के कृष्ण कन्हैया ।।
अमन-चैन की सरिता बहाएँ-
भारत के हर घर हर द्वारे ।
भोले भाले बालक सारे। हैं चाचा नेहरूके प्यारे ।।

देशद्रोह गद्दारों को हम
-
वसुन्धरा से मिटाएँगे ।
राष्ट्र-प्रेम के मधुर गीत हम-
मिल जुल कर सब गाएँगे ।
वीर भरत बन जाएँगे हम-
शेरों को गोद खिलाएँगे ।
मातृ-भूमि पर नित बलि जाएँ-
शुभ पावन हों कर्म हमारे ।

भोले भाले बालक सारे। हैं चाचा नेहरू के प्यारे ।।

- अज्ञात
  साभार- हमारे त्योहार और उत्सव
  संपादक-प्रकाश नारायण नाटाणी