पहन नया कुर्ता-पजामा,
निकले घर से बन्दर मामा।
चले जा रहे रौब दिखाते,
पैर पटकते, गाल फुलाते।
कहा किसी ने नेताजी हैं,
अजी नहीं, अभिनेता ही हैं।
नाम सदाचारी है इनका
काम अदाकारी है इनका।
रंग बदलने में ये माहिर,
रूप बदले में जग-जाहिर।
गांधी-भक्त कहाते हैं ये,
देश लूटकर खाते हैं ये।
सुनसुनकर ये तीखी बातें,
सो न सके वह कितनी रातें।
अब तो मैं कुर्ता-पजामा,
कभी न पहनूं बोले मामा।
--डॉ रामनिवास मानव