अथ हिंदी कथा अच्छी थी पर अपने झंडे को क्या हुआ

रचनाकार: रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में 'हिंदी अथ कथा'  निःसंदेह अविस्मरणीय था।  'हिंदी अथ कथा' में लहराये जाने वाले झंडे से चक्र गायब था। मंत्रियों, पत्रकारों व साहित्यकारों की उपस्थिति में यह झंडा कई मिनटों तक लहराता रहा। सब तालियां बजाते रहे, झंडा भी लहराता रहा। मैंने साथ वाले पत्रकार से पूछा कि यह झंडे को क्या हुआ। उसने कंधे झटक कर, "आइ डांट नो!" बता दिया।

No Chakra Jhanda

No Chakra Flag

No Chakra Flag

मैं सोचने लगा - मैं दशकों से विदेश में बसे होने के बाद भी अपने झंडे को पहचान जाता हूँ पर यहाँ अपने देश के हजारों लोगों की आँखों को क्या हुआ?  या शायद यह कोई कलात्मक प्रस्तुति थी जिसे मैं पूरी तरह समझ नहीं पाया था।

एक साहित्यकार से चर्चा की तो उन्होंने समझाया,"ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं।"

फिर बड़ी बात क्या होती है? किसी साहित्यकार को आमंत्रित न किया जाना, किसी रिपोर्ट में किसी का नाम न आना या आपको सम्मानित न किया जाना!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'