न्यायशास्त्र

रचनाकार: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

मोहिनी ने कहा, "न जाने हमारे पति से, जब हम दोनों की एक ही राय है तब, फिर क्यों लड़ाई होती है? ... क्योंकि वह चाहते हैं कि मैं उनसे दबूँ और यही मैं भी।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र