हमने चुप्पी तान ली,  नहीं करेंगे जंग ।
फिर भी दुनिया ना हटे, करती रहती तंग ।। 
तेरे  मेरे रास्ते,   हैं बिल्कुल ही भिन्न ।
तू  ‘जी-जी' करता रहे,  मुझको इस से घिन्न ।।
हम को समझ न आ सके, इक-दूजे की बात । 
तुम व्यापारी हो भले,    मैं लेखक की जात ।।
ऑंखें अपनी मींच ले,  मुँह से बोल न बोल । 
रिश्तों का अब तो यहाँ, यही बचा है मोल ।।
मैं तो मरजी जो करूँ, तुझे नहीं अधिकार । 
मुँह पर  ताला डाल ले, बचा रहेगा प्यार ।।
‘रोहित' इस संसार में, किसको किससे प्रेम । 
हर कोई अब खेलता, अपनी-अपनी ‘गेम' ।।
- रोहित कुमार ‘हैप्पी' 
  दिसंबर, २०१७
