एक बार कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' मुंशी प्रेमचंद से पूछ बैठे, "मुंशीजी आप कैसे कागज़ पर और कैसे 'पेन' से लिखते हैं?"
प्रेमचंद ज़ोर से हँसे और उत्तर दिया, "ऐसे काग़ज पर जिसपर पहले से कुछ न लिखा हो और ऐसे 'पेन' से जिसका निब न टूटा हो!" फिर ज़रा गंभीर होकर बोले, "भाई जान! ये सब 'चोंचले' हम जैसे कलम के मज़दूरों के लिए नहीं हैं !"
[भारत-दर्शन संकलन] |