हरि बिन कछू न सुहावै
परम सनेही राम की नीति ओलूंरी आवै। राम म्हारे हम हैं राम के, हरि बिन कछू न सुहावै। आवण कह गए अजहुं न आये, जिवडा अति उकलावै। तुम दरसण की आस रमैया, कब हरि दरस दिलावै। चरण कंवल की लगनि लगी नित, बिन दरसण दुख पावै। मीरा कूं प्रभु दरसण दीज्यौ, आंणद बरण्यूं न जावै॥
- मीरा
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