भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ।गरीब निवाजु गुसाईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ।नीचउ ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥नामदेव कबीरू तिलोचनु सधना सैनु तरै ।कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै ॥
- रैदास
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?
यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें