यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।
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राम रतन धन पायो
पायो जी म्हे तो रामरतन धन पायो।बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा को अपणायो।जनम जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढत सवायो।सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।मीरा के प्रभु गिरधरनागर, हरख-हरख जस पायो॥
- मीरा
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