सदा फुदकती, कभी न थकती, गाती मीठी-मीठी बानी। कैसे खुश रहती हो इतना, सच-सच कहना चिड़िया रानी।
ताज़ा दाना, निर्मल पानी, शुद्ध हवा औ' धूप सुहानी। यही राज सारी खुशियों का, बोली हंसकर चिड़िया रानी।
खुले जगत् में जीना सीखो, ताज़ा हो सब दानी-पानी। इतना कहकर, फुदक ज़रा-सा, फुर्र हो गई चिड़िया रानी।
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