हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है। - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।
धूप से छाँव की.. | ग़ज़ल (काव्य)    Print this  
Author:कुँअर बेचैन

धूप से छाँव की कहानी लिख
आह से आँसुओं की बानी लिख

यह करिश्मा भी कर मुहब्बत में
आग से कागजों में पानी लिख

माँगने वाला कुछ तो देता है
तू सभी याचकों को दानी लिख़

मौत का हाथ थामकर उससे
यह भी कह जिंदगी के मानी लिख

दर्द जब तेरे दिल का राजा है
प्रीति को दिल की राजधानी लिख

-कुँअर बेचैन

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