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तू इतना कमज़ोर न होतेरे मन में चोर न होजग तुझको पत्थर समझेइतना अधिक कठोर न होबस्ती हो या हो फिर वनपैदा आदमखोर न होसब अपने हैं सब दुश्मनबात न फैले, शोर न होसूरज तम से धुँधलाएऐसी कोई भोर न हो
- राजगोपाल सिंह
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