करो हम को न शर्मिंदा बढ़ो आगे कहीं बाबा हमारे पास आँसू के सिवा कुछ भी नहीं बाबा
कटोरा ही नहीं है हाथ में बस फ़र्क़ इतना है जहाँ बैठे हुए हो तुम खड़े हम भी वहीं बाबा
तुम्हारी ही तरह हम भी रहे हैं आज तक प्यासे न जाने दूध की नदियाँ किधर हो कर बहीं बाबा
सफ़ाई थी सच्चाई थी पसीने की कमाई थी हमारे पास ऐसी ही कई कमियाँ रहीं बाबा
हमारी आबरू का है सवाल अब सब से मत कहना वो बातें हम ने जो तुम से अभी खुल कर कहीं बाबा
- कुंअर बेचैन |