भारत के लिये तू हुआ बलिदान भगत सिंह । था तुझको मुल्को-कौम का अभिमान भगत सिंह ।।
वह दर्द तेरे दिल में वतन का समा गया । जिसके लिये तू हो गया कुर्बान भगत सिंह ।।
वह कौल तेरा और दिली आरजू तेरी । है हिन्द के हर कूचे में एलान भगत सिंह ।
फांसी पै चढ़के तूने जहां को दिखा दिया । हम क्यों न बने तेरे कदरदान भगत सिंह ।।
प्यारा न हो क्यों मादरे-भारत के दुलारे । था जानो-जिगर और मेरी शान भगत सिंह ।।
हरएक ने देखा तुझे हैरत की नजर से । हर दिल में तेरा हो गया स्थान भगत सिंह ।।
भूलेगा कयामत में भी हरगिज न ए 'किशोर' । माता को दिया सौंप दिलोजान भगत सिंह ।।
[ ब्रिटिश राज के प्रतिबंधित साहित्य से ] |