पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्त्र गुना अच्छी है। - अज्ञात।
माँ पर दोहे | मातृ-दिवस (काव्य)    Print  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड
 

जब तक माँ सिर पै रही बेटा रहा जवान।
उठ साया जब तै गया, लगा बुढ़ापा आन॥

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माँ अपनी की आ गई 'रोहित' जब भी याद।
उठ पौधों को दे दिया, हमने पानी-खाद॥

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माँ सपने में आ मुझे, पूछे मेरा हाल।
दूजी दुनिया में गई, फिर भी मेरा ख्याल॥

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जीवन पूरा ला दिया, पाला सब परिवार।
आज उसे मिलती नहीं, घर में रोटी चार॥

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जीवन भर देती रही, जी भर जिसे दुलार।
माँ अपनी को दे रहा, बेटा वही उधार॥

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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