जब तक माँ सिर पै रही बेटा रहा जवान। उठ साया जब तै गया, लगा बुढ़ापा आन॥
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माँ अपनी की आ गई 'रोहित' जब भी याद। उठ पौधों को दे दिया, हमने पानी-खाद॥
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माँ सपने में आ मुझे, पूछे मेरा हाल। दूजी दुनिया में गई, फिर भी मेरा ख्याल॥
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जीवन पूरा ला दिया, पाला सब परिवार। आज उसे मिलती नहीं, घर में रोटी चार॥
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जीवन भर देती रही, जी भर जिसे दुलार। माँ अपनी को दे रहा, बेटा वही उधार॥
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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