झूठी जगमग जोति
आवो सहेल्या रली करां हे, पर घर गावण निवारि। झूठा माणिक मोतिया री, झूठी जगमग जोति। झूठा सब आभूषण री, सांचि पियाजी री पोति। झूठा पाट पटंबरारे, झूठा दिखणी चीर। सांची पियाजी री गूदडी, जामे निरमल रहे सरीर। छप्प भोग बुहाई दे है, इन भोगिन में दाग। लूण अलूणो ही भलो है, अपणो पियाजी को साग। देखि बिराणै निवांण कूं हे, क्यूं उपजावै खीज। कालर अपणो ही भलो है, जामें निपजै चीज। छैल बिराणे लाख को हे अपणे काज न होइ। ताके संग सीधारतां हे, भला न कहसी कोइ। वर हीणों आपणों भलो हे, कोढी कुष्टि कोइ। जाके संग सीधारतां है, भला कहै सब लोइ। अबिनासी सूं बालवां हे, जिपसूं सांची प्रीत। मीरा कूं प्रभु मिल्या हे, ऐहि भगति की रीत॥
- मीरा
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