अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है | ग़ज़ल (काव्य)    Print  
Author:अदम गोंडवी
 

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है

उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो
इधर पर्दे के पीछे बर्बरीयत है नवाबी है

लगी है होड़-सी देखो अमीरी और ग़रीबी में
ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है

तुम्हारी मेज़ चाँदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ ज़ुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

-अदम गोंडवी

* जम्हूरियत = प्रजातंत्र
   रक़ाबी = तश्तरी /प्लेट

 

 

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