बुढ़िया चला रही थी चक्की
पूरे साठ वर्ष की पक्की।
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बच्चों की कविताएं
यहाँ आप पाएँगे बच्चों के लिए लिखा बाल काव्य जिसमें छोटी बाल कविताएं, बाल गीत, बाल गान सम्मिलित हैं।
इस श्रेणी के अंतर्गत
मैं पढ़ता दीदी भी पढ़ती | बाल कविता
कभी कभी मन में आता है
क्यों माँ दीदी को ही कहती
साग बनाओ, रोटी पोओ ?
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खेल हमारे
गुल्ली डंडा और कबड्डी,
चोर-सिपाही आँख मिचौली।
कुश्ती करना, दौड़ लगाना
है अपना आमोद पुराना।
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