जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है। - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।
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हू केयर्स? - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

अगस्त का महीना विदेश में बसे भारतीयों के लिए बड़ा व्यस्त समय होता है। कम से कम हमारे यहां तो ऐसा ही होता है। स्वतंत्रता दिवस की तैयारी पूरे जोरों पर रहती है। अनेक संस्थाएं स्वतंत्रता दिवस का आयोजन करती हैं। नहीं, मैं गलत लिख गया! दरअसल, स्वतंत्रता दिवस नहीं, ‘इंडिपेंडेंस डे'! 'स्वतंत्रता-दिवस' तो न कहीं सुनने को मिलता, न कहीं पढ़ने को। मुझे तलख़ी आई तो साथ वाले ने वेद-वाणी उवाची, ‘हू केयर्स?' यही तो कठिनाई है कि आप ‘केयर' ही तो नहीं करते! ...और करते भी हैं तो जब आप पर आन पड़े, तभी करते हैं!
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