हर वर्ष हम 14 सितंबर को देश-विदेश में हिंदी-दिवस व हिंदी पखवाड़ा जैसे समारोहों का आयोजन करते हैं। निःसंदेह ऐसे आयोजनों के लिए निःस्वार्थ भाव की परम आवश्यकता है। हिंदी को भाषणबाजों और स्वयंभू नेताओं की नहीं बल्कि सिपाहियों की जरूरत है।
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संपादकीय
भारत-दर्शन संपादकीय।