8 जून को ऑल इंडिया रेडियो के नामकरण की 90वीं वर्षगाँठ पर डॉ. शैलेश शुक्ला का विशेष आलेख
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विविध
इस श्रेणी के अंतर्गत
आकाशवाणी की गूंज | आलेख
माओरी कहावतें (36-40)
माओरी कहावतें | Māori Proverbs
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देशभक्त | व्यंग्य
रामलुभाया बहुत जल्दी में था। मैं उसे पुकारता रहा और वह मुझ से भागता रहा। अंततः मैंने दौड़ कर उस को पकड़ ही लिया।
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सरकार का जादू : जादू की सरकार | व्यंग्य
जादूगर मंच पर आकर खड़ा हो गया। वह एयर इंडिया के राजा की तरह झुका और बोला, ''देवियो और सज्जनो, हम जो प्रोग्राम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं, वह इस मुलुक का, इस देश का प्रोग्राम है जो बरसों से चल रहा है और मशहूर है। आप इसे देखिए और हमें अपना आशीर्वाद दीजिए।" इतना कहकर जादूगर ने झटके से सिर उठाया और जोरदार पाश्र्व संगीत बजने लगा।
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महान संत गुरूदेव टैगोर और महान आत्मा महात्मा गांधी | विशेष लेख
19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के शुरू में दो महान भारतीयों रवींद्रनाथ टैगोर और मोहनदास कर्मचंद गांधी के बीच एक संबंध और गहरा तादात्म्य स्थापित हो गया। वे दोनों भारतीयता, मानवता और प्रबंधन से मुक्ति के समर्थक थे। उनके बारे में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1941 में अपनी जेल डायरी में लिखा- ''गांधी और टैगोर, जो पूरी तरह एक-दूसरे से अलग प्रकार के थे और दोनों भारत के विशिष्ट व्यक्ति थे, की गणना भारत के महान पुरूषों में होती है।.... मैंने बहुत लंबे समय से यह महसूस किया है कि वे आज विश्व के असाधारण व्यक्ति है। निसंदेह, ऐसे अनेक व्यक्ति हैं, जो उनसे अधिक योग्य और अपने-अपने क्षेत्रों में उनसे महान प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। वे किसी एक गुण के कारण नहीं, बल्कि उनके सामूहिक प्रभाव के कारण मैंने महसूस किया कि गांधी और टैगोर आज विश्व के महान व्यक्तियों में मानव के रूप में सर्वोत्तम व्यक्ति थे। यह मेरा सौभाग्य था कि मैं उनके निकट संपर्क में आया।
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टैगोर - कवि, गीतकार, दार्शनिक, कलाकार और शिक्षा विशारद
'प्रसन्न रहना तो बहुत सहज है, परन्तु सहज रहना बहुत कठिन' ‑ रवीन्द्रनाथ टैगोर
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