कहानियां

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आई हेट यू, पापा!

- आनन्द विश्वास | Anand Vishvas

भास्कर के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है सन्त श्री शिवानन्द जी का आश्रम। दिव्य अलौकिक शक्ति का धाम। शान्त, सुन्दर और रमणीय स्थल। जहाँ ध्यान, योग और ज्ञान की अविरल गंगा बहती रहती है। दिन-रात यहाँ वेद-मंत्र और ऋचाओं का उद्घोष वातावरण को पावनता प्रदान करता रहता है और नदी का किनारा जिसकी शोभा को और भी अधिक रमणीय बना देता है।
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2050

- दिव्या माथुर

ऋचा की आँखों में उच्च वर्ग का सा इस्पात उतर आया, एकबारगी उसे  लगा कि वह भी इस्पात में ढल सकती है। गँवार लोग ही रोते हैं, उच्च वर्ग के लोगों के सपाट चेहरों पर कभी देखा है किसी ने कोई उल्लास या उदासी! ये लौह युग है, यंत्रों और तंत्रों से संचालित। यहाँ भावनाओं का क्या काम? कितने लोग बचे हैं जो ज़रा ज़रा सी बात पर उद्वेलित हो जाते हैं, जिनकी भावनाएं उछल-उछल कर छलक उठती हैं। ऋचा को अपनी भावुकता पर नियंत्रण रख्रना होगा किंतु अगले ही पल इस्पात तरल होकर बहने लगता। वह अपने को सम्भाल तक नहीं पाती।   
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तितली और ततैया

- डॉ आरती ‘लोकेश’

तितली और ततैया
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लाल कमीज-बिल्ला नम्बर 243

- गोवर्धन यादव 

"यात्रीगण कृपया ध्यान दें। निजामुद्दीन से चलकर हैदराबाद को जाने वाली दक्षिण एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से एक घण्टा विलम्ब से चल रही है...... यात्रीगण कृपया ध्यान दें" ... उद्घोषिका बार-बार इस सूचना को प्रसारित कर रही थी।
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