हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।
दोहे
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दल में 24 मात्राएं होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु होना आवश्यक है। दोहा सर्वप्रिय छंद है।

कबीर, रहीम, बिहारी, उदयभानु हंस, डा मानव के दोहों का संकलन।

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कवि वृन्द के दोहे  - वृन्द

जाही ते कछु पाइये, करिये ताकी आस। 
रीते सरवर पर गये, कैसे बुझत पियास॥ 
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