नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

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नैराश्य गीत | हास्य कविता - कवि चोंच

कार लेकर क्या करूँगा?
तंग उनकी है गली वह, साइकिल भी जा न पाती ।
फिर भला मै कार को बेकार लेकर क्या करूँगा?

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राजनीतिक गठबंधन - प्रवीण शुक्ल

दोनों ने सोचा कि साथ चलने में फ़ायदा है
इसलिए ये भी, वे भी साथ दौड़ रहे हैं।
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यमराज का इस्तीफा - अमित कुमार सिंह

एक दिन
यमदेव ने दे दिया
अपना इस्तीफा।
मच गया हाहाकार
बिगड़ गया सब
संतुलन,
करने के लिए
स्थिति का आकलन,
इन्द्र देव ने देवताओं
की आपात सभा
बुलाई
और फिर यमराज
को कॉल लगाई।

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हुल्लड़ के दोहे  - हुल्लड़ मुरादाबादी

बुरे वक्त का इसलिए, हरगिज बुरा न मान। 
यही तो करवा गया, अपनों की पहचान॥ 
...

ढोल, गंवार... - सुरेंद्र शर्मा

मैंने अपनी पत्नी से कहा --
"संत महात्मा कह गए हैं--
ढोल, गंवार, शुद्र, पशु और नारी
ये सब ताड़न के अधिकारी!"
[इन सभी को पीटना चाहिए!]
...

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