नए-नए मंत्री ने
अपने ड्राइवर से कहा—
‘आज कार हम चलाएँगे।’
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हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।
इस श्रेणी के अंतर्गत
विरह का गीत
तुम्हारी याद में खुद को बिसारे बैठे हैं।
तुम्हारी मेज पर टॅगरी पसारे बैठे हैं।
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अच्छा है पर कभी-कभी | हास्य
बहरों को फ़रियाद सुनाना, अच्छा है पर कभी-कभी
अंधों को दर्पण दिखलाना, अच्छा है पर कभी-कभी
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