जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
गद्य-काव्य
गद्य-काव्य: वह गद्य जिसमें कुछ भाव या भावनाएँ ऐसी कवित्वपूर्ण सुन्दरता से अभिव्यक्त की गईं हों कि उसमें काव्य की सी संवेदनशीलता तथा सरसता आ जाए, उसे गद्य-काव्य कहा जाता है।

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रूप | गद्य काव्य - वियोगी हरि

वह उठती हुई एक सुन्दर ज्वाला है। दूर से देख भर ले; उसे छूने का दुःसाहस मत कर। सन्तप्त नेत्रों को ठंडा करले, कोई रोकता नहीं। पर, मूर्ख! उसके स्पर्श से अपने शीतल अंगों को कहीं जला न बैठना।
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