देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।
गद्य-काव्य
गद्य-काव्य: वह गद्य जिसमें कुछ भाव या भावनाएँ ऐसी कवित्वपूर्ण सुन्दरता से अभिव्यक्त की गईं हों कि उसमें काव्य की सी संवेदनशीलता तथा सरसता आ जाए, उसे गद्य-काव्य कहा जाता है।

Articles Under this Category

रूप | गद्य काव्य - वियोगी हरि

वह उठती हुई एक सुन्दर ज्वाला है। दूर से देख भर ले; उसे छूने का दुःसाहस मत कर। सन्तप्त नेत्रों को ठंडा करले, कोई रोकता नहीं। पर, मूर्ख! उसके स्पर्श से अपने शीतल अंगों को कहीं जला न बैठना।
...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश