अच्छी पुस्तक बगिया जैसी
होती है मुझको तो लगता।
कविता और कहानी उसमें
हों पौधे ज्यों ऐसा लगता।
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बच्चों की कविताएं
इस श्रेणी के अंतर्गत
शब्द शब्द जैसे हों फूल
प्रार्थना
प्रभो, 
न मुझे बनाओ हिमगिरि, 
जिससे सिर पर इठलाऊँ। प्रभो, न मुझे बनाओ गंगा, 
जिससे उर पर लहराऊँ।
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फूलों जैसे उठो खाट से | बाल गीत
फूलों जैसे उठो खाट से
 बछड़ों जैसी भरो कुलांचे
 अलसाये मत रहो कभी भी
 थिरको एसे जग भी नांचे
 नेक भावना रखो हमेशा
 जियो कि जैसे चन्दा तारे
 एसे रहो कि तुम सब के हो
 और सभी है सगे तुम्हारे
 फूलो फलो गाछ हो जैसे
 बोलो बहता नीर
 कांटे बनकर मत जीना तुम
 हरो परायी पीर
 कहना जो है सो तुम कहना
 संकट से भी मत घबराना
 
 उजियारे के लिये सलोने
 झान -ज्योति का दीप जलाना
 मत पडना तुम हेर फेर में
 जीना जीवन सादा प्यारा
 दीप सत्य है एक शस्त्र है
 होगा तब हीरक उजियारा
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पीछे मुड़ कर कभी न देखो | बालगीत
पीछे  मुड़कर कभी न  देखो, आगे ही तुम  बढ़ते जाना।
उज्ज्वल कल है तुम्हें बनाना, वर्तमान ना व्यर्थ गँवाना।
संघर्ष आज तुमको करना है,
मेहनत में  तुमको  खपना है।
दिन और रात  तुम्हारे अपने,
कठिन  परिश्रम  में तपना है।
फौलादी आशाऐं लेकर, तुम  लक्ष्य प्राप्त करते जाना।
पीछे मुड़कर कभी न देखो, आगे ही तुम बढ़ते जाना।
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