जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
बोध कथाएं
बोध-कथाओं में कोई न कोई नैतिक शिक्षा अवश्य निहित रहती है और आप एक क्षण के लिए सोचने को बाध्य हो जाते हैं। यहाँ हम भारत-दर्शन के पाठकों के लिए बोध कथाएं संकलित कर रहे हैं। इन छोटी-छोटी कथा-कहानियों में परबत-सी ऊंची बातें और सागर-सी गहनता होती है निसंदेह यह कथाएं आपको पठनीय व रुचिकर लगेंगी। नैतिक सीख देती, बोध कथाओं का यह संकलन आपको भेंट।

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