भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
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विविध
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स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संदेश
ऐसे थे चन्द्रशेखर आज़ाद
एक बार भगतसिंह ने बातचीत करते-करते मज़ाक में चन्द्रशेखर आज़ाद से कहा, "पंडित जी, हम क्रान्तिकारियों के जीवन-मरण का कोई ठिकाना नहीं, अत: आप अपने घर का पता दे दें ताकि यदि आपको कुछ हो जाए तो आपके परिवार की कुछ सहायता की जा सके।"
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आत्मकथ्य : बालेश्वर अग्रवाल
जीवन के नब्बे वर्ष पूरे हो रहे हैं आज जब मैं यह सोच रहा हूँ, तो ध्यान में राष्ट्रकवि स्व. श्री माखन लाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध कविता 'पुष्प की अभिलाषा' की पक्तियां याद आ रही है।
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साधना | गद्य काव्य
अब वे हँसते हुए फूल कहाँ! अपने रूप और यौवन को प्रेम की भट्टी पर गलाकर न जाने कहाँ चले गये। अब तो यह इत्र है। इसी में उनकी तपस्या का सिद्धरस है। इसी के सौरभ में अब उनकी पुण्यस्मृति
का प्रमाण है। विलासियो! इसी इत्र को सूँघ-सूँघकर अब उन खिले फूलों की याद किया करो।
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गिरमिटियों को श्रद्धांजलि (भाग 2)‘ का लोकार्पण
नरेश चंद की ऑडियो सीडी ‘गिरमिट गाथा- गिरमिटियों को श्रद्धांजलि (भाग 2)‘ का लोकार्पण
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सत्ता का नया फार्मुला
एक समय था जब सरकार जनता से बनती थी। चुनाव की गर्मी के समय एयर कंडीशनर और बारिश की फुहार जैसे वायदे करने वाले जब सरकार में आते हैं, तब इनके वायदों को न जाने कौन सा लकवा मार जाता है कि कुछ भी याद नहीं रहता। अब तो जनता को बेवकूफ बनाने का एक नया फार्मूला चलन में आ गया है। चुनाव के समय S+R=JP का फार्मूला धड़ल्ले से काम करता है। यहां S का मूल्य शराब और R का मूल्य रुपया और JP का मतलब जीत पक्की। यानी शराब और रुपए का संतुलित मिश्रण गधे तक के सिर ताज पहना सकता है। यदि चुनाव जीत चुके हैं और पाँच साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है, तब जीत का फार्मूला बदल जाता है। वह फार्मूला है PPP । यहां पहले P का मतलब पेंशन। पेंशन यानी बेरोजगारी पेंशन, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, किसान पेंशन, आदि-आदि। दूसरे P का अर्थ है पैकेज। इस पैकेज के लाखों-करोड़ों रुपए पैकेज की घोषणा कर दे फिर देखिए जनता तो क्या उनका बाप भी वोट दे देगा। वैसे भी जनता को लाखों-करोड़ों में से कुछ मिले न मिले शून्य की भरमार जरूर मिलेगी। इसी फार्मूले के तीसरे P का अर्थ है पगलाहट। जनता को मनगढ़ंत और उटपटांग उल्टे-सीधे सभी वायदे कर दें, फिर देखिए जनता में जबरदस्त पगलाहट देखने को मिलेगी।
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चन्द्रशेखर आज़ाद की पसंदीदा शायरी
पं० चंद्रशेखर आज़ाद को गाना गाने या सुनने का शौक नहीं था लेकिन फिर भी वे कभी-कभी कुछ शेर कहा करते थे। उनके साथियों ने निम्न शेर अज़ाद के मुंह से कई बार सुने थे:
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मैं नर्क से बोल रहा हूँ!
हे पत्थर पूजने वालो! तुम्हें जिंदा आदमी की बात सुनने का अभ्यास नहीं, इसलिए मैं मरकर बोल रहा हूँ। जीवित अवस्था में तुम जिसकी ओर आंख उठाकर नहीं देखते, उसकी सड़ी लाश के पीछे जुलूस बनाकर चलते हो। जिंदगी-भर तुम जिससे नफरत करते रहे, उसकी कब्र पर चिराग जलाने जाते हो। मरते वक्त तक जिसे तुमने चुल्लू-भर पानी नहीं दिया, उसके हाड़ गंगाजी ले जाते हो। अरे, तुम जीवन का तिरस्कार और मरण सत्कार करते हो, इसलिए मैं मरकर बोल रहा हूँ। मैं नर्क से बोल रहा हूँ।
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और बुलडोज़र गिरफ़्तार हो गया
यह इतना आसान काम नहीं था, लेकिन आखिर पुलिस ने अपनी मुस्तैदी से बुलडोज़र को गिरफ़्तार कर ही लिया। बुलडोज़र के लिए हथकड़ी अभी तक नहीं बनी है, इसलिए पुलिस ने उसे रस्सों से बाँधकर ही अपने कब्जे में किया। चारों तरफ़ इस बात से हर्षोल्लास फैल गया, सरकार ने पुलिस की पीठ ठोंकी, और पुलिस ने कहा कि इस बड़ी सफलता के बाद चारों तरफ अमन-चैन, और क़ानून और व्यवस्था कायम हो गई है।
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रक्षा बंधन का इतिहास व पौराणिक कथाएं
रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है और इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं।
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यात्रा अमरनाथ की
आपने अब तक अपने जीवन में अनगिनत यात्राएं की होगी लेकिन किन्हीं कारणवश आप अमरनाथ की यात्रा नहीं कर पाएं है तो आपको एक बार बर्फ़ानी बाबा के दर्शनों के लिए अवश्य जाना चाहिए। दम निकाल देने वाली खड़ी चढ़ाइयां, आसमान से बातें करती, बर्फ़ की चादर में लिपटी-ढंकी पर्वत श्रेणियां, शोर मचाते झरने, बर्फ़ की ठंडी आग को अपने में दबाये उद्दंड हवाएं जो आपके जिस्म को ठिठुरा देने का माद्दा रखती हैं। कभी बारिश आपका रास्ता रोककर खड़ी हो जाती है तो कहीं नियति नटी अपने पूरे यौवन के साथ आपको सम्मोहन में उलझा कर आपका रास्ता भ्रमित कर देती है। वहीं असंख्य शिव-भक्त बाबा अमरनाथ के जयघोष के साथ, पूरे जोश एवं उत्साह के साथ आगे बढ़ते दिखाई देते हैं और आपको अपने साथ भक्ति की चाशनी में सराबोर करते हुए आगे, निरन्तर आगे बढ़ते रहने का मंत्र आपके कानों में फूँक देते हैं। कुछ थोड़े से लोग जो शारीरिक रुप से अपने आपको इस यात्रा के लिए अक्षम पाते हैं, घोड़े की पीठ पर सवार होकर बाबा का जयघोष करते हुए खुली प्रकृति का आनन्द उठाते हुए, अपनी यात्राएं संपन्न करते हैं। सारी कठिनाइयों के बावजूद न तो वे हिम्मत हारते हैं और न ही उनका मनोबल डिगता है। प्रकृति निरन्तर आगे बढ़ते रहने के लिए आपको प्रेरित करती है। रास्ते में जगह-जगह भंडारे वाले आपका रास्ता, बड़ी मनुहार के साथ रोकते हुए, हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि बाबा की प्रसादी खाकर ही जाइए। भंडारे में आपको आपके मन पसंद व्यंजन खाने को मिलेंगे। कहीं कढ़ाहे में केसर डला दूध औट रहा है, तो कहीं इमरती सिक रही होती है। बरफ़ी, पेड़ा, बूंदी, कचौडियां और न जाने कितने ही व्यंजन आपको खाने को मिलेंगे, वो भी बिना कोई कीमत चुकाए।
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वाल्मीकी समाज के आराध्य देव वीर गोगा जी महाराज सामाजिक समरसता की मशाल
वाल्मीकी समाज के आराध्य देव वीर गोगा जी महाराज सामाजिक समरसता की मशाल
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ब्रिटिश प्रधानमंत्री-ऋषि सुनक
हाल ही में इंग्लैंड के 56वे प्रधानमंत्री पद के लिए ऋषि सुनक का चुना जाना इंग्लैंड और बाक़ी दुनिया के लिए तो एक सनसनीख़ेज़ खबर है ही, मगर उससे भी कहीं बहुत-बहुत ज़्यादा ये बात भारत में चर्चा का केंद्र बनी हुई है! सुनने में आ रहा है कि इस चर्चा की वजह उनके भारतीय मूल का निवासी होना है और अब भारतीय मूल के किसी इंसान का इंग्लैंड में प्रधानमंत्री बनना कुछ भारतीयों को इंग्लैंड में अपना साम्राज्य स्थापित होने जैसा महसूस हो रहा है। किसी को इस राजनैतिक उथल-पुथल में ब्रिटिशर्स को अपने अनैतिक कर्मों का फल मिलता दिखाई दे रहा है तो किसी को इंग्लैंड की राजनीति में भारत और वहाँ रहने वाले प्रवासी भारतीयों को एक विशिष्ट अतिथि का दर्जा मिलने की संभावना दिखाई दे रही है। रब्बा ख़ैर करे ये इंसान का दिमाग़ भी क्या चीज़ है न, कि हर सूचना में सबसे पहले अपना व्यक्तिगत फ़ायदा नुक़सान ढूँढने लगता है।
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