बुढ़िया चला रही थी चक्की
पूरे साठ वर्ष की पक्की।
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बाल-साहित्य
इस श्रेणी के अंतर्गत
प्रेमचंद की बाल कहानियां
प्रेमचंद ने बाल साहित्य भी रचा है। 1948 में सरस्वती प्रेस से श्रीपतराय (प्रेमचन्द के पुत्र) ने 'जंगल की कहानियां' नामक पुस्तक प्रकाशित करवाई थी जिसमें प्रेमचंद की 12 बाल कहानियां थीं। इसके अतिरिक्त भी प्रेमचंद ने बच्चों के लिए एक लम्बी कहानी 'कुत्ते की कहानी' व 'कलम, तलवार और त्याग' जिसमें महापुरुषों के जीवन की कथाएं लिखी हैं। यहाँ उन्हीं में से कुछ को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रेमचंद का बाल-साहित्य इस प्रकार हैं : माहात्मा शेख सादी, राम चर्चा, जगंल की कहानियाँ, कुत्ते की कहानी, दुर्गादास और कलम, तलवार और त्याग (दो भाग)।
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घोड़ा और घोड़ी
एक घोड़ी दिन-रात खेत में चरती रहती , हल में जुता नहीं करती थी, जबकि घोड़ा दिन के वक्त हल में जुता रहता और रात को चरता। घोड़ी ने उससे कहा, "किसलिये जुता करते हो? तुम्हारी जगह मैं तो कभी ऐसा न करती। मालिक मुझ पर चाबुक बरसाता, मैं उस पर दुलत्ती चलाती।"
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मैं पढ़ता दीदी भी पढ़ती | बाल कविता
कभी कभी मन में आता है
क्यों माँ दीदी को ही कहती
साग बनाओ, रोटी पोओ ?
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खेल हमारे
गुल्ली डंडा और कबड्डी,
चोर-सिपाही आँख मिचौली।
कुश्ती करना, दौड़ लगाना
है अपना आमोद पुराना।
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