रोचक

इस श्रेणी में आप रोचक सामग्री पाएंगे जिसमें सम्मिलित है पठनीय सामग्री, रोचक विडियो व ऑडियो इत्यादि।

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भारत में शिक्षक दिवस | Teachers' Day in India

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

भारत में शिक्षक दिवस (Teachers' Day in India )   
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न्यूज़ीलैंड हिंदी पत्रकारिता -बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न | NZ Hindi Journalism FAQ

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

न्यूज़ीलैंड हिंदी पत्रकारिता - बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न | NZ Hindi Journalism FAQ
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ऐसे थे शरत बाबू

- भारत-दर्शन संकलन

बात उस समय की है जब सुप्रसिद्ध बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने लेखन अभी आरम्भ ही किया था। उन दिनो कई बार प्रकाशनार्थ भेजी गई उनकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं द्वारा लौटा दी जाती थीं या प्रकाशित होने पर भी उन्हें दूसरे लेखकों की तुलना में कम पारिश्रमिक मिलता था। इसी संकोच के कारण कई बार तो वह कहानी लिख कर प्रकाशनार्थ कहीं नहीं भेजते थे।
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व्यौहार राजेन्द्र सिंहा

- भारत-दर्शन

व्यौहार राजेन्द्र सिंह / सिंहा (Beohar Rajendra Simha) का जन्म 14 सितंबर, 1900 को जबलपुर में हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्द दास के साथ व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने काफी प्रयास किए। इसके चलते उन्होंने दक्षिण भारत की कई यात्राएं भी कीं। व्यौहार राजेन्द्र सिंह हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष रहे। आपने अमेरिका में आयोजित विश्व सर्वधर्म सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहां सर्वधर्म सभा में हिंदी में ही भाषण दिया जिसकी बहुत प्रशंसा हुई। संस्कृत, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अंग्रेज़ी आदि पर आपका अच्छा अधिकार था।
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गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य

- भारत-दर्शन संकलन | Collections

गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य:

  • 12 जनवरी 1918 को गांधी द्वारा लिखे एक पत्र में रबीन्द्रनाथ टैगोर को ‘‘गुरुदेव'' संबोधित किया गया था।
  • टैगोर ने 12 अप्रैल 1919 को लिखे अपने एक पत्र में पहली बार गांधी को ‘महात्मा' संबोधित किया था।
  • पहली बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने रेडियो सिंगापुर से 6 जुलाई, 1944 को प्रसारित अपने भाषण में राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था। वैसे ऐसा भी कहा जाता है कि नेताजी ने इससे पहले भी आजाद हिंद रेडियो रंगून से प्रसारित अपने एक संदेश में 4 जून 1944 को गांधीजी को "देश के पिता" कहकर संबोधित किया था।
  • गांधीजी के मृत्यु पर पंडित नेहरु जी ने रेडियो द्वारा राष्ट्र को संबोधित किया और कहा "राष्ट्रपिता अब नहीं रहे"।

 
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