एक बार भगतसिंह ने बातचीत करते-करते मज़ाक में चन्द्रशेखर आज़ाद से कहा, "पंडित जी, हम क्रान्तिकारियों के जीवन-मरण का कोई ठिकाना नहीं, अत: आप अपने घर का पता दे दें ताकि यदि आपको कुछ हो जाए तो आपके परिवार की कुछ सहायता की जा सके।"
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इतिहास के पन्नों से
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ऐसे थे चन्द्रशेखर आज़ाद
माँ | चंद्रशेखर की कविता
माँ हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर माँ निज शीश कटाने आज।
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चंद्रशेखर आज़ाद का राखी प्रसंग
बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे।
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और नाम पड़ गया आज़ाद
चन्द्रशेखर बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। वे बचपन से स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने लगे थे - गांधीजी के 'असहयोग आंदोलन' के दौरान उन्होंने विदेशी सामानों का बहिष्कार किया। इसी असहयोग आंदोलन के दौरान उन्हें पहली बार पंद्रह वर्ष की आयु आंदोलनकारी के रूप में पकड़ लिया गया और जब मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उसका नाम पूछा गया तो उन्होंने कहा "आजाद"।
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चन्द्रशेखर आज़ाद की पसंदीदा शायरी
पं० चंद्रशेखर आज़ाद को गाना गाने या सुनने का शौक नहीं था लेकिन फिर भी वे कभी-कभी कुछ शेर कहा करते थे। उनके साथियों ने निम्न शेर अज़ाद के मुंह से कई बार सुने थे:
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चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय
चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrasekhar Azad) का जन्म 23 जुलाई, 1906 को एक आदिवासी ग्राम भाबरा में हुआ था। काकोरी ट्रेन डकैती और साण्डर्स की हत्या में सम्मिलित निर्भीक महान देशभक्त व क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अहम् स्थान रखता है।
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