हास्य काव्य

भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

इस श्रेणी के अंतर्गत

विरह का गीत | हास्य काव्य

- कवि चोंच

तुम्हारी याद में खुद को बिसारे बैठे हैं।
तुम्हारी मेज पर टंगरी पसारे बैठे हैं ।
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एप्रिल फूल | हास्य काव्य

- प्रो० मनोरंजन

एप्रिल फूल आज है साथी,
आओ, तुमको मूर्ख बनाऊँ;
मैं भी हँसू, हँसो कुछ तुम भी,
फिर तुम मैं, मैं तुम बन जाऊँ।
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आप हँसते जाइए | हास्य-कविता

- बी० आर० नागर

आप हँसते जाइए हमको हँसाते जाइए
चमचमाते दांत मोती से दिखाते जाइए
 
भरके रक्खी मेज पर 'ख्याली पुलाओ' की पलेट
आप भी उस में से चम्मच इक उठाते जाइए
 
कुछ उड़ाते गप्प हैं और कुछ उड़ाते हैं पतंग
आप 'हाथों के मगर तोते उड़ाते जाइए 
 
चाहिए कब शेखचिल्ली को किराए का मकान,
बस 'हवा में एक किला-सा बनाते जाइए 
 
सात नम्बर डेड़-सौ में से मिले भूगोल में
एक जीरो सात के आगे लगाते जाइए 
 
-बी० आर० नागर

 
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