व्यंग्य

हिंदी व्यंग्य. Hindi Satire.

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पासपोर्ट की एफ़.आई.आर | व्यंग्य

- प्रो. राजेश कुमार

मेरा पासपोर्ट कहीं खो गया था। मुझे याद है कि पिछली बार मैंने उसे अपने बैग में रखा था। अपनी चीज़ों के मामले में मैं बहुत लापरवाह हूँ। मैं बैग को अपने दफ़्तर के कमरे में रखकर उसे भूल जाता था और उसे तभी याद करता था, जब मुझे उसमें से कुछ चाहिए होता था या उसे उठाकर घर जाना होता था। मुझे लगता था कि किसी ने पासपोर्ट मेरे बैग से निकाल लिया था। निकालने वाला उसका क्या इस्तेमाल करना चाहता होगा, कह नहीं सकते। यों वह सरकारी पासपोर्ट था और कोई उसका कई तरह से दुरुपयोग कर सकता था। 
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