एक रात अबू बिन आदम, घोर स्वप्न में जाग पड़े।
देखा जब कमरे को अपने, हुए महाशय चकित बड़े॥
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कविताएं
इस श्रेणी के अंतर्गत
अबू बिन आदम और देवदूत | अनूदित कविता
कविताएँ रहेंगी | कविता
हृदय को संवेदना की
कसौटी पर कसेंगी
कुछ रहे न रहे
कविताएँ रहेंगी।
मेरी-तेरी, इसकी-उसकी,
मुलाकातें, जग की बातें,
जगकर्ता के क़िस्से कहेंगी
कुछ रहे न रहे
कविताएँ रहेंगी।
भागते हुए
वक़्त की चरितावली
संघर्ष की व्यथा-कथा
विकास की विरुदावली
कभी शांति की
संहिता रचेंगी
कुछ रहे न रहे
कविताएँ रहेंगी।
- अनुपमा श्रीवास्तव 'अनुश्री'
ई-मेल : ashri0910@gmail.com
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तुम भी लौटोगी | कविता
मैं नहीं जानता कि कोई आएगा कि नहीं
पर मैंने इस जीवन-जगत से
धरती नदी, पहाड़ से
चिड़िया, तितली, फूल,
बादल से और तुमसे प्रेम किया है
इसलिए तुम्हारा इन्तजार कर रहा हूँ।
घूमने के लिए पूरी दुनिया है
और लोग घूम भी रहे हैं मीना बाजार से लेकर
आइकाँन टॉवर तक
ताज महल से ताज होटल,
लालकिला, इण्डिया गेट
अजन्ता, एलोरा की गुफाओं तक
और न जाने कहाँ-कहाँ
सबसे बड़े रॉक, सब से अनोखे फॉल
और सबसे सुंदर फूलों से लदी धरती की वह तलहटी...
पर वह संभव नहीं है, न समय और न गाँठ में पैसे
इसलिए सरसों के उसी पीले खेत में
धूल-माटी वाले अपने घर में
तुम्हारी यादों को संजोए मैं तुम्हारा इन्तजार कर रहा हूँ
और सोच रहा हूँ कि जब चीजें एक न एक दिन लौटती हैं
तो तुम भी लौटोगी
बेगानेपन से उदास होकर
और कहोगी
कि यह मेरा गाँव
यह मेरा बचपन
और यह मेरा छूटा हुआ कोई अंश
दुनिया की हर चीज से सुंदर, अलभ्य, अनमोल!
ढेर सारी खुशियों और प्यार से अह्लादित मैं हसूँगा
अपने जर्जर फेफड़े में हवा खींचकर
गहरे अविश्वास और विस्मय से
और कहूँगा यह वही पेड़ है
जो तुम्हारे लौटने के इन्तजार में बड़ा हुआ
इसकी एक तस्वीर उतारो और साथ में रख लो
यह मंदिर, यह स्कूल, यह सड़क, घर-आँगन देहरी, और तुलसी-चौड़ा...सब में तुम्हारी गंध बसी हुई है
अब जब तुम फिर लौटोगी या नहीं
इन चीजों का तुम्हारे साथ होना
अनंत दुनिया में एक जीवंत दुनिया की उपस्थिति
तुम्हें खींच कर लाएगी
और तुम कह सकोगी
कि यह...
हाँ प्रिये! जब वास्तव में कुछ नहीं बचे
तो उसे स्मृति में बचाना भी एक उपाय है
ताकि तुम कहीं भी लौटो!
-संजय कुमार सिंह
ई-मेल : sksnayanagar9413@gmail.com
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आधी रात को | कविता
बचपन में एक दिन
सोया था, दादा के साथ
अचानक आधी रात को
कुत्ते भौंक रहे थे,
कुत्तों की आवाज़ से
मैं जग गया था
उस वक्त दादा ने बताया था—
जब कोई अशुभ घटना घटती हैं
कुत्ते रात को रोते हैं
कुकुर का रोना ठीक नहीं है।
तब लगा था कि—
दादा की बातों में
अंधविश्वास की गंध है,
मगर अब जाना
बड़े-बुजुर्गों की बातों में
बहुत सत्यता होती है।
प्राकृतिक आपदाओं के
संकेतक होते हैं, पशु-पक्षी
घ्राण शक्तियों से
समझते हैं, वे सारी बातें।
- नेतलाल यादव
ई-मेल : netlaly@gmail.com
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