बहुत समय पहले की बात है। ‘आओटियारोआ’ में एक महिला थी जिसका नाम था ‘रोना’। रोना अपने पति के साथ रहती थी। उनका परंपरागत विवाह हुआ था। यह शादी उनके दादा दादी और कबीले के मुखियाओं ने तय की थी। ताउमू विवाह काफी आम थे और अकसर अपनी नस्ल को सुरक्षित या अपने कबीले की बेहतरी के लिए किए जाते थे। अधिकतर ऐसे विवाह सफल और सुखमय रहते थे लेकिन रोना और उसका पति इसका अपवाद ही थे। उनके बीच शायद कुछ भी एक सा नहीं था। वैसे भी उनके बीच तो शादी के पहले दिन से ही समस्याएँ पैदा हो गईं थीं। शादी वाले दिन ही बाढ़ आ गई और जिस ‘मराए’ (माओरी पवित्र-स्थल) में उनकी शादी हुई, उसमें भी पानी आ गया। रोना के सभी रिश्तेदारों को ‘मराए’ के बाहर छप्पर में सोना पड़ा। ‘रोना’ को लगा, उसके परिवार और संबंधियों का अपमान हुआ है। बस इसी बात को लेकर ‘रोना’ और उसके पति के बीच पहला तर्क-वितर्क शुरू हुआ। दुर्भाग्य से, इस दंपति के लिए, यह नारकीय वैवाहिक जीवन की शुरुआत थी।
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लोक-कथाएं
क्षेत्र विशेष में प्रचलित जनश्रुति आधारित कथाओं को लोक कथा कहा जाता है। ये लोक-कथाएं दंत कथाओं के रूप में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में प्रचलित होती आई हैं। हमारे देश में और दुनिया में छोटा-बड़ा शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे लोक-कथाओं के पढ़ने या सुनने में रूचि न हो। हमारे देहात में अभी भी चौपाल पर गांववासी बड़े ही रोचक ढंग से लोक-कथाएं सुनते-सुनाते हैं। हमने यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित लोक-कथाएं संकलित करने का प्रयास किया है।