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लघुकथाएं |
लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँ व प्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें। |
Articles Under this Category |
हत्या - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav |
चौराहे पर चर्चा चल रही थी। पूर्णिमा-हत्याकांड के सभी आरोपी बरी हो गये लेकिन प्रश्न था कि जब पूर्व-आरोपियों ने उसे नहीं मारा, तो फिर मारा किसने? |
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दिशा - फ़्रेंज़ काफ़्का |
'बहुत दुख की बात है,' चूहे ने कहा, 'दुनिया दिन प्रतिदिन छोटी होती जा रही है। पहले यह इतनी बड़ी थी कि मुझे बहुत डर लगता था। मैं दौड़ता ही रहा था और जब आखिर में मुझे अपने दाएँ-बाएँ दीवारें दिखाई देने लगीं थीं तो मुझे खुशी हुई थी। पर यह लंबी दीवारें इतनी तेजी से एक दूसरे की तरफ बढ़ रही हैं कि मैं पलक झपकते ही आखिर छोर पर आ पहुँचा हूँ; जहाँ कोने में वह चूहेदानी रखी है और मैं उसकी ओर बढ़ता जा रहा हूँ।' |
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प्राइवेसी - कल्पना मनोरमा |
आवली के घर में गेस्टरूम की रिपेयरिंग का काम चल रहा था। रिश्तेदार आने की बात कहते तो मौरंग,गिट्टी और सीमेंट का पसारा पसरा है, बोल देती। एक दिन पति ने बताया—बड़ी दीदी का फोन आया था। वे आजकल में घर आना चाहती है। सुनते ही आवली भड़क पड़ी--"आपने क्या कहा?" |
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इन्साफ - भारत-दर्शन संकलन |
तीन आदमियों ने एक ही प्रकार का अपराध किया था किन्तु राजा विक्रमादित्य ने सभी को भिन्न दंड दिया अर्थात् एक को तो बुला कर इतना ही कहा कि तुम जैसे भले आदमी को ऐसा करना शोभा नहीं देता। दूसरे को बुला कर बुरा-भला कहा और कुछ झिड़का भी। तीसरे को काला मुँह कराकर गधे पर सवार कराया और पूरे नगर में फिराया। |
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बैकग्राउंड - कान्ता रॉय |
“ये कहाँ लेकर आए हो मुझे?” |
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