ठुमक-ठुमक नाचे कठपुतली
सबके मन को मोहे।
रंग बिरंगे सुन्दर कपड़े
उसके तन पर सोहे॥
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बाल-साहित्य
इस श्रेणी के अंतर्गत
कठपुतली
खुरपी
शेखचिल्ली की माँ एक दिन किसी शादी में जाने के लिए घर से बाहर जाने लगी। उन्होंने जाने से पहले अपने बेटे को आवाज देते हुए कहा, “बेटा शेख तुम जंगल जाकर घास ले आना। फिर पड़ोसी को घास देकर पैसे ले लेना। तुम यहां ये काम करो और मैं शादी में जाकर तुम्हारे लिए मिठाइयां लेकर आऊंगी।” शेख चिल्ली ने खुशी-खुशी माँ की बात मान ली।
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डर भी पर लगता तो है न
चटख मसाले और अचार
कितना मुझको इनसे प्यार!
नहीं कराओ इनकी याद
देखो देखो टपकी लार।
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उल्लुओं की बस्ती में
एक वृक्ष पर एक उल्लू रहता था। उल्लू को दिन में दिखाई नहीं पड़ता, इसीलिए इसको दिवांध भी कहते हैं। उल्लू दिन-भर अपने घोंसले में छिपा रहता था। जब रात होती थी, तो शिकार के लिए बाहर निकलता था।
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करना हो सो कीजिए
एक कौआ था। वह रोज नदी-किनारे जाता और बगुले के साथ बैठता। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। बगुला मछलियां पकड़ता और कौए को खिलाया करता। बगुला नये-नये ढंग से रोज़ नई-नई मछलियां पकड़ता रहता, कौए को हर दिन नया-नया भोजन मिलने लगा।
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सच बोलनेवाला चोर
एक पंडित के जब कोई लड़का होता, तो वे पहले ही से उसका भविष्य बतला देते थे। एक लड़के के संबंध में उन्होंने अपनी श्री से बतलाया कि वह चोर होगा। लड़का पढ़ने में बड़ा होशियार था। इससे लोग उसे शास्त्रीभी कहते थे । जब वह बड़ा हुआ, तो उसका विवाह करके, उसके माता-पिता तीर्थ-यात्रा करने चले गए।
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प्यारे बादल
देखो, माँ! नभ में आ पहुँचे,
ये घनघोर सुघड़ बादल।
इन्हें देखकर इतराई, झूमी,
हवा हुई कितनी चंचल॥
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